Tuesday, December 9, 2008

मुकुल की चिटठा चर्चा

इस "सवाल"पर आपकी राय जो भी हो किंतु ये सही है कि ' हमेशा ही भूख पर भारी पड़ती हैइस बात के कई प्रमाण आपको मिल जाएंगे लेकिन अपने हथौडे पर आज जो हथौदियाँ पड़ीं उसका अपना अलग रंग है । उधर खुलासा पे इंतज़ार था किसी सनसनी का किंतु वे माँ॥माँ....मामा जी जीत गए !! .... कह के मानो जश्न में डूबे हैं कि डाक्टर रूपेश जी ने उनको सराहा या शायद उनके मामा जीत ही गए हों कौन जाने। एक ब्लॉगर भैया कि अब जाके याद आया कि कंधार के बाद ही भारत को हमला करना चाहिए था....?शायद ये ब्लॉगर भैया पीछे खिसकना सीख रहें है। .....ये साहब कह रहे हैं कि राह के इक मोड़ पर कब से खड़ा हूँतो आदरणीय यही तो कईयों का प्रोब्लाम्ब है रिक्शे न मिलने पर यही होता है । बस एक सपने की जरुरत न होती ...तो अब रागिनी मॉडर्न न होती ॥ माडर्न तो ये सत्तर-साल वाली 70 वर्षीय रज्जो देवी हैं जिनको संतान मिली है उनकी अपनी कोख से । ब्लॉगर के रूप में रात के "अन्तिम पहर" ')">में कुछ और नहीं लिखा जा रहा । सो इस चर्चा को देता हूँ यहीं विराम आपको सबको सादर "राम राम जय श्री राम सूचना हरी भूमि के आज के अंक ने मुझे भी अपनी ब्लॉग चर्चा में जोड़ा आभार है हरी भूमि "

Thursday, December 4, 2008

मुमताज़ : ये हरामजादे तुम्हारे लिए ताजमहल बनाएंगे

जबलपुर के रद्दी चौकी क्षेत्र में

एक मानसिक रूप से विक्षिप्त युवती के साथ किया दुराचार किन्नरों ने घायल अवस्था में उसे अस्पताल में भर्ती कराया

आज जबलपुर के अखबारों में छ्पी एक ख़बर "एक मानसिक रूप से विक्षिप्त से....... छि..........." उस औरत को ये हराम जादे "मुमताज़" कहते थे । इन लोगों ने बेचारी विक्षिप्ता के साथ दुराचार तो किया ही साथ ही साथ उसे शारीरिक चोट पहुंचा कर घायल अवस्था में सड़क पर फैंक दिया । यह घटना है जबलपुर के रद्दी-चौकी क्षेत्र की । २५ वर्षीय इस अबोध नारी पर किए हुए के जिम्मेदार कौन हैं इस बात की पता साजी हमारी जिम्मेदार पुलिस कर रही है। घटना दिल दहला देने वाली है किंतु उन किन्नरों के प्रति हमारी कृतज्ञता जिन्होंने मुमताज़ को सुबह-सुबह अस्पताल पहुंचाने का काम किया। उन किन्नरों के मानस में बसे मानव-कल्याण के भावों ने साबित कर दिया की वे कितने महान हैं जिन्हौने पीड़ित मानवता की सेवा की। हम उन हरामजादों के लिए क्या कहें जिनकी तलाश पुलिश शायद ही कर पाए जाने किस का सम्बन्ध किस रसूखदार से हो ।

"मुमताज़ ये हरामजादे तुम्हारे लिए शायद अभी गए हैं ताजमहल बनाने"

हमारी जिम्मेदार पुलिस इनकी तलाश में हैं..!

Wednesday, December 3, 2008

इमरान खान वाला विज्ञापन ...........!

"" राजीव सारस्वत को भाव पूर्ण श्रद्धांजलियां " भारत के लोग आँसू क्रोध वितृष्णा से भर गया है। उधर से ख़बर आ रही है की पड़ोसी ने सहयोग से इनकार कर दिया है । कोई चिंता न की जाए ....... बस अब भारत कठोर हो जाए। आसिफ अली ज़रदारी का बयान आ ही गया है "कि पाक का हाथ नहीं "न ही पकडा गया आतंकी पाकी है । इस झूठ का क्या करें ? यदि विश्व समुदाय इस देश की [पाकिस्तान की] इस अदा से वाकिफ है ..जबकी भारत में हुई इस हरकत में पाकिस्तानी सहभागिता स्पष्ट है सबूत हैं भारत के पास .. इस पर लाइव इंडिया से बातचीत में शहीद अली जियो टी वी ने भी उनके सुर में सुर मिलाया कि आम भारतीय जानता कि सरकारें किसी आतंकवाद को सीधे प्रोत्साहन की नहीं देता किंतु आतंकी-केम्पों को न रोकना एक खामोश सहमति का संदेश अवश्य है भारत की विशाल सोच का ग़लत अर्थ निकालता पड़ोसी देश । ऐसी स्थिति में भारत को बिना समय गंवाए उन बीस आतंकवादियों के भारत भेजने की की अपील सप्रमाण विश्व समुदाय के समक्ष पेश कर देनी चाहिए । इस क्रम में ज्ञात हुआ कि भारत अमेरिकन प्रतिनिधि आयीं,हैं देखतें हैं कोंडोलिज़ा राईस क्या संदेश देतीं है अपने महामहिम को । rizwana ने hi5 पर मुझे भेजे संदेश में बताया कि :-धन्यवाद , मै सामायिक हालात पे बेहद निडरता एक डॉक्युमेंटरी बनाए जा रही हूँ ...बोहोत अभ्यासपूर्ण ..कहीं भी चूक नही सकती हर ओरसे सहयोग की दरख्वास्त है ॥ "रिज़वाना आप ये कर रहीं हैं इस का शुक्रिया " उधर पत्रकार सईद नकवी साहब ने खुले तौर पर डिप्लोमेटिक रास्ते सुझाए आतंकवाद के विरुद्ध संवादों के अनुशासन की सलाह दी, वे सहज भावः से कह गए कि कारर्वाई के लिए 27 नवम्बर कि तिथि अनुकूल थी यानी कहीं न कहीं देश को पड़ोसी के लिए अपनी सोच का पुनरीक्षण करना चाहिए । और अब एक सांकेतिक ख़त प्रिय बंधू ............ जी वंदे-मातरम "हम भारतीय प्रजातान्त्रिक स्वरुप पर सादर नत मस्तक और विनम्र हैं अगर हमारे आन्सूओं के साथ कुछ शब्द सियासियों के ख़िलाफ़ कोई शब्द निकल भी गए तो उससे आप इतने हतप्रभ क्यों" . यदि आप चाहतें है की हम बिना टाई लगाए आपके सामने देश की अस्मिता एवं आम जीवन {जो छोटी-मोटी बात है आपकी नज़र में} रक्षा के लिए अनुरोध करें तो क्या आप हमारे दर्द को समझ सकेंगे. आप ने तो यहाँ तक कह दिया की आम जनता जो क्षुब्ध है वो किसी साजिश का पार्ट है तो हे महानायक इस वर्ष हुए आप चुनाव में 26 नवम्बर के एक दिन बाद हुई वोटिंग का प्रतिशत पिछले चुनावों के सापेक्ष अधिक है, उसकी शायद आपको जानकारी होगी ही. मित्र आपको सादर अभिवादन करते हुए बता देना चाहती हैं हम की एक वरिष्ट पत्रकार की राय क्या है "पत्रकार सईद नकवी साहब ने खुले तौर पर डिप्लोमेटिक रास्ते सुझाए आतंकवाद के विरुद्ध संवादों के अनुशासन की सलाह दी, वे सहज भावः से कह गए कि कारर्वाई के लिए 27 नवम्बर कि तिथि अनुकूल थी यानी कहीं न कहीं देश को पड़ोसी के लिए अपनी सोच का पुनरीक्षण करना चाहिए । " भवदीय भारतीय आम जनता