Tuesday, August 4, 2009

ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी

उसको नहीं देखा हम ने कभी पर इसकी ज़रूरत क्या होगी ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी उसको नहीं देखा हम ने कभी… इंसान तो क्या देवता भी आँचल में पले तेरे है स्वर्ग इसी दुनिया में कदमों के तले तेरे ममता ही लुटाये जिसके नयन ओ ओ… ममता ही लुटाये जिसके नयन ऐसी कोई मूरत क्या होगी ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी उसको नहीं देखा हम ने कभी… क्यूँ धुप जलाये दुखो की क्यूँ ग़म की घटा बरसे ये हाथ दुआओं वाले रहते हैं सदा सर पे तू है तो अंधेरे पथ में हमें ओ ओ.. तू है तो अंधेरे पथ में हमें सूरज की ज़रूरत क्या होगी ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी उसको नहीं देखा हम ने कभी… कहते हैं तेरी शान में जो कोई ऊँचे बोल नहीं भगवान के पास भी माता तेरे प्यार का मोल नहीं हम तो ये ही जाने तुझ से बड़ी ओ ओ.. हम तो ये ही जाने तुझ से बड़ी संसार की दौलत क्या होगी ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी उसको नहीं देखा हम ने कभी…
साभार "y तरुण जी " के ब्लॉग

गीत सुनाने के उसको नही देखा हमने कभी

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